Rabu, 27 April 2011


  कुछ पल के बस ये दिन हैं


कुछ दिन की बस ये बात है
फिर समाँ बदल जाएगा
बेफिक्री के इस जहाँ में
फ़िक्र का बादल आएगा
कुछ पल के बस ये दिन है

वो शरारतें याद आएँगी
बिन बात हँसना याद आएगा
वो डाटें याद आएँगी
यारों संग बीता वक़्त याद आएगा
मस्ती की सुबह जायेगी
कुछ पल के बस ये दिन है

ख़्वाबों की बातें भूल जायेगी
वो मंजर सब मिट जाएगा
दोस्तों की बाहें छूट जायेंगी
यादों का गलियारा रह जाएगा
अकेलापन हमको सताएगा
कुछ पल के बस ये दिन है

इन लम्हों का गुलदस्ता बन जाएगा
आगे भी पुरानी कहानी दोहराएगा
जब उदास तू हो जाएगा
तो बीता हुआ कल हंसायेगा
वो इमारत बहुत याद आएगी
कुछ पल के बस ये दिन है

कुछ पल के बस ये दिन हैं
कुछ पल के बस ये दिन हैं

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